भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी

प्रेस विज्ञप्ति

31 जुलाई 2013

अपने संघर्ष की बदौलत पृथक राज्य हासिल करने वाली

तेलंगाना जनता का क्रांतिकारी अभिनंदन!

तेलंगाना जनता की पृथक राज्य की जनवादी आकांक्षा प्राथमिक तौर पर पूरी हो गई। छह दशकों के लम्बे संघर्ष और अनमोल बलिदानों से अपनी आकांक्षा को सफल कर लेने पर तेलंगाना जनता का हमारी पार्टी की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, जन मुक्ति छापामार सेना, क्रांतिकारी जन संगठन, क्रांतिकारी जनताना सरकार और समूची दण्डकारण्य जनता गर्मजोशी भरा लाल सलाम पेश करती हैं। और आज तमाम तेलंगाना में मनाई जा रही जश्न में खुद को शामिल करती हैं। इस आंदोलन में अपनी जानें गंवाने वाले तमाम शहीदों का स्मरण करती हैं। इस संघर्ष को नेतृत्व देने वाले जन संगठनों और भाईचारा प्रकट करने वाले तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्र की जनता का अभिनंदन पेश करती हैं।

अब इस जीत का श्रेय लेने के लिए तमाम संसदीय पार्टियों में होड़ मचने वाली है जिसमें एक ओर कांग्रेस यह कहेगी कि पृथक तेलंगाना राज्य उसी ने दिया है, वहीं दूसरी ओर तेलंगाना राष्ट्र समिति यह कहते नहीं थकेगी कि उसके संघर्ष से ही यह संभव हो पाया। और भाजपा अपने समर्थन को इसमें अहम बताएगी। लेकिन सच तो यह है कि जनता की लड़ाकू ताकत के आगे झुककर, पृथक तेलंगाना के गठन को आगे और टाल नहीं सकने की अनिवार्य स्थिति में ही कांगे्रस पार्टी ने पृथक तेलंगाना के गठन की घोषणा की। इस तरह कांग्रेस पार्टी का सिर झुकाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ तेलंगाना जनता को जाता है। संघर्ष की समृद्ध और बहादुराना विरासत की धनी तेलंगाना जनता ने अपनी आकांक्षा पूरी करने के लिए लम्बे समय से लड़ते हुए, जानें कुरबान करते हुए, विश्वासघातों से सबक लेते हुए आखिर में यह जीत हासिल कर ली है। इस तरह तेलंगाना जनता ने इस सच्चाई को फिर एक बार साबित किया है कि इतिहास का निर्माता सिर्फ जनता है।

पृथक राज्य को लेकर तेलंगाना जनता की आकांक्षा का हमारी पार्टी ने शुरू से ही मजबूती से समर्थन किया। और संघर्षरत जनता का नेतृत्व किया। 1969 में विशेष तेलंगाना आंदोलन के तीव्र दमनचक्र का शिकार होने के बाद, 1996 में आंदोलन को फिर से शुरू करने में हमारी पार्टी की भूमिका ही प्रधान थी। तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्र के पूंजीपतियों और शोषक वर्गों का हित-पोषण करते हुए जनता की जनवादी आकांक्षा के प्रति निरंकुशता बरतने वाली कांगे्रस पार्टी का हमारी पार्टी ने लगातार पर्दाफाश किया। तेलुगुदेशम पार्टी द्वारा अपने शासनकाल में चलाए गए तीखे दमन का और उसके बाद किए गए छल-कपट का हमारी पार्टी ने विरोध किया। और संघर्ष के बजाए खेमेबंदी के जरिए ही तेलंगाना राज्य लाया जा सकता है, ऐसा कहते हुए तेलंगाना राष्ट्र समिति द्वारा जनता के बीच फैलाए जा रहे भ्रमों को चकनाचूर कर दिया। तरह-तरह के कुतर्कों से तेलंगाना आंदोलन का विरोध करने वाली संशोधनवादी पार्टियों की दिवालिया राजनीति की आलोचना की। इस दौरान हमारी पार्टी तीखे दमनचक्र का शिकार हुई। कुछ अनमोल कार्यकर्ता भी हमारी पार्टी ने खो दिए। फिर भी तेलंगाना जनता को नेतृत्व प्रदान करने की भरसक कोशिश करती रही।

हमारी पार्टी यह उम्मीद करती है कि इस जीत की प्रेरणा से जनता अपने इस संघर्ष को और आगे बढ़ाएगी। बिना देरी किए फौरन ही संसद में विधेयक पेश करने की मांग के साथ संघर्ष करेगी। चूंकि तेलंगाना जनता का अनगिनत बार गद्दारी और धोखे का शिकार होने का अनुभव रहा है, इसलिए जनता को पूरी सतर्कता बरतनी होगी ताकि दोबारा ऐसा हो। इतना ही नहीं, हालांकि कई संघर्षों के बाद छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि इलाके पृथक राज्य बने थे, लेकिन वहां की जनता की कोई भी जनवादी आकांक्षा आज तक पूरी नहीं हुई। इन कड़वे उदाहरणों से सीख लेते हुए तेलंगाना जनता को अपना संघर्ष लगातार जारी रखना ही पड़ेगा ताकि अब गठित होने जा रहे तेलंगाना राज्य को जनवादी तेलंगाना में बदला जा सके। अब तक तेलंगाना के प्राकृतिक संसाधनों को मनमाने ढंग से लूटने वाले देशी और विदेशी पूंजीपतियों के शोषण और इस शोषण का रास्ता साफ कर रही नई आथर््िाक नीतियों के खिलाफ समझौताहीन संघर्ष करना होगा। भाकपा (माओवादी) की अगुवाई में तेलंगाना जनता ने समंती वर्गों के खिलाफ लड़कर दसियों हजार एकड़ जमीनें छीन ली थीं जिन पर सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण जनता खेती नहीं कर पा रही है। कई अन्य जगहों में किसानों से, खासकर आदिवासियों और दलितों से जमीनें छीन लेने की जन विरोधी नीतियों को लागू किया जा रहा है। इस तरह जमीन का सवाल आज भी तेलंगाना जनता के लिए जीवन-मरण की समस्या बना हुआ है। इसलिए अब गठित होने वाले तेलंगाना राज्य में कृषि क्रांतिकारी कार्यक्रम को सक्रियता के साथ जारी रखने की जरूरत है।

यह बात स्पष्ट है कि तेलंगाना राज्य के गठन से भी जनता की किसी भी बुनियादी समस्या का हल नहीं होने वाला है। कारण यह है कि वहां अब शोषक शक्तियां ही सत्ता संभालने वाली हैं। बुनियादी समस्याओं के हल के लिए नई जनवादी क्रांति के जरिए शोषित वर्गों की राजसत्ता हासिल करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यह बात सबको मालूम है कि तेलंगाना का क्रांतिकारी आंदोलन ही, जिसकी शुरूआत करीमनगर और आदिलाबाद जिलों से हुई थी, दण्डकारण्य में आज आधार इलाके के निर्माण के लक्ष्य से चल रहे जनयुद्ध की प्रेरक शक्ति और नींव है। तेलंगाना की शोषित जनता शुरू से ही दण्डकारण्य आंदोलन के समर्थन में खड़ी है। वहीं दूसरी ओर पृथक तेलंगाना राज्य को हासिल करने के लिए जारी आंदोलन के पक्ष में दण्डकारण्य का क्रांतिकारी आंदोलन और यहां की जनता की जनवादी सत्ता का स्वरूपक्रांतिकारी जनताना सरकारखड़े हैं। जो पुलिस अमला (खासकर ग्रेहाउण्ड्स और एसआईबी) पृथक तेलंगाना आंदोलन का दमन करता रहा वही दण्डकारण्य आंदोलन का दमन करने के लिए पाशविक हमलों पर उतारू है। इस प्रतिक्रांतिकारी शक्ति के खिलाफ लड़ने के लिए तमाम जनता को एकजुट होना होगा। हमारी पार्टी का यह आह्वान है कि तेलंगाना जनता अपनी इस जीत से प्रेरणा पाते हुए नई जनवादी क्रांति के पथ पर और ज्यादा सक्रियता से आगे बढ़े तथा दण्डकारण्य समेत देश के विभिन्न इलाकों में जारी जनयुद्ध के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले।

तेलंगाना राज्य के गठन की पृष्ठभूमि में स्वार्थी राजनीतिक शक्तियां और शोषक वर्ग तटीय आंध्र और रायलसीमा में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। अतः हमारी स्पेशल जोनल कमेटी तटीय आंध्र और रायलसीमा की जनता और जनवादी ताकतों से अपील करती है कि इन कोशिशों का वे नाकाम करें तथा तेलंगाना राज्य गठन का पूर्ण समर्थन कर अपना भाईचारा प्रकट करें।

इस संदर्भ में, हमारी दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी यह आशा करती है कि पृथक राज्य हासिल करने वाली तेलंगाना जनता की लड़ाकू स्फूर्तिभावना से प्रेरणा लेकर विदर्भ, गोरखालैण्ड आदि क्षेत्रों की जनता अपने-अपने इलाकों में पृथक राज्य आंदोलन जारी रखेगी और तेज करेगी।

 

 

रामन्ना

सचिव

दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)