भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)
सेंट्रल मिलिटरी कमिशन (सी.एम.सी.)
प्रेस विज्ञप्ति
30 नवम्बर 2011
भारत के शोषक वर्गों के जन संहारक हमलों का प्रतिरोध करो!
जनयुद्ध को तेज करते हुए शासक वर्गों द्वारा
जनता पर जारी युद्ध ‘आपरेशन ग्रीनहंट’ को परास्त करो!
प्रशिक्षण शिविरों की स्थापना की आड़ में
क्रांतिकारी आंदोलन के दमन के लिए बस्तर में हो रही
भारतीय सेना की तैनाती का विरोध करो! प्रतिरोध करो!
पीएलजीए की 12वीं वर्षगांठ के मौके पर
भाकपा (माओवादी) की केन्द्रीय मिलिटरी कमिशन का आह्वान
प्यारे कामरेडो और लोगो!
विश्व समाजवादी क्रांति के अंतर्गत भारत की नई जनवादी क्रांति को सफल बनाने
के लिए अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा सेना की एक टुकड़ी के रूप में, भारतीय क्रांति के महान शिक्षक कामरेड्स चारु मजुमदार और कन्नाई चटर्जी के पथ-निर्देशन में 2 दिसम्बर 2000 को हमारी पीएलजीए का आविर्भाव हुआ। आगामी 2 दिसम्बर को इसके 12 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर केन्द्रीय मिलिटरी कमिशन
(सीएमसी) यह आह्वान करता है कि हमारे तमाम गुरिल्ला क्षेत्रों और लाल प्रतिरोधी इलाकों में 12वीं वर्षगांठ मनाई जाए तथा गुरिल्ला युद्ध
को तेज करते हुए विस्तार किया जाए ताकि लुटेरे शोषक वर्गों द्वारा जनता पर चलाए जा रहे युद्ध को, जिसका लक्ष्य भारत के क्रांतिकारी आंदोलन का उन्मूलन है, जनयुद्ध के जरिए हराया
जा सके।
इस एक साल में सर्वहारा के लगभग एक सौ उत्तम
बेटों, बेटियों और आम जनता ने अपने अनमोल प्राणों को न्यौछावर किया है। भारतीय क्रांति के अग्रणी नेता, जनयुद्ध के सेनानी, हमारे
पोलिटब्यूरो सदस्य
और शोषित
जनता के प्यारे नेता कामरेड मल्लोजुला कोटेश्वरलु उर्फ किशनजी केन्द्र व बंगाल की सरकारों की शह पर बंगाल की एसआइबी समेत सभी केन्द्रीय खुफिया संस्थाओं की साजिश का शिकार होकर फर्जी मुठभेड़ में शहीद हो गए। दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य
कामरेड हरक (श्रीकांत) गंभीर
अस्वस्थता के चलते और उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य
कामरेड गुण्डेटि शंकर (शेषन्ना) सांप काटने से शहीद हो गए। झारखण्ड के छतरा जिला, कुदा जंगलों में बिहार-झारखण्ड-उत्तर
छत्तीसगढ़ एसएसीएम कामरेड अजय गंजू की पुलिस ने हत्या कर दी। असोम के टिनसुकिया में सेना, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य
पुलिस द्वारा की गई एक फर्जी मुठभेड़ में लीडिंग टीम (आरसी स्तर) के कामरेड सिद्धार्थ बुर्गोहेइन समेत तीन साथी शहीद हो गए। दण्डकाण्य में दक्षिण रीजनल
कमेटी सदस्य
कामरेड विजय एक हादसे
में शहीद हो गए। पार्टी की वरिष्ठ कार्यकर्ता कामरेड स्वरूपा (सुनीता) बीमारी से शहीद हो गईं। मजदूर
नेता और शोषित जनता के वकील कामरेड बीएसए
सत्यनारायण, श्रीकाकुलम संघर्ष के वरिष्ठ नेता कामरेड गोरु माधवराव और आदिवासी नेता कामरेड पेंदूर भीमराव ने अंतिम सांस ली। पुलिसिया हत्याकाण्डों में लगभग 60 आम लोगों, जन संगठन कार्यकर्ताओं और क्रांतिकारी जन कमेटियों के कार्यकर्ताओं की जानें गईं। दंतेवाड़ा जिले के बासागुड़ा इलाके
के ग्राम
सारकिनगुड़ा में किए गए नरसंहार में 19 निहत्थे लोगों
की जानें
गईं। इन सभी को हम लाल-लाल श्रद्धांजलि पेश करते हैं और उनके अधूरे लक्ष्यों को पूरा करने का संकल्प लेते हैं।
क्रांतिकारी आंदोलन को खत्म करने के लक्ष्य से भारत के लुटेरे शासक वर्ग अमेरिकी साम्राज्यवादियों के निर्देशन में प्रति-क्रांतिकारी रणनीति (एलआईसी) को सुनियोजित तरीके
से लागू कर रहे हैं। इसका मुकाबला करते हुए इस साल विभिन्न गुरिल्ला क्षेत्रों में पीएलजीए द्वारा अपनाए
गए कार्यनीतिक प्रत्याक्रमण अभियानों और प्रतिरोधी अभियानों के तहत की गई सैनिक
कार्रवाइयों ने राजनीतिक रूप से खासा प्रभाव डाला।
दण्डकारण्य में कोया कमाण्डो कमाण्डर करटम सूर्या और किच्चा नंदा के वाहन पर गोरगोण्डा के पास किया गया ऐम्बुश (सुकमा),
पूसटोला के पास सीआरपीएफ व कोबरा बलों के काफिले पर किया गया साहसपूर्ण ऐम्बुश (गढ़चिरोली), इरुपगुट्टा ऐम्बुश (कांकेर), किरंदुल नाइट ऐम्बुश (दंतेवाड़ा), सलवा जुडूम का हत्यारा सरगना
व कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा
पर किया गया ऐम्बुश (महेन्द्र कर्मा),
झारखण्ड में बरगढ़ के पास माइनपूफ वाहन पर किया गया शौर्यपूर्ण ऐम्बुश (गढ़वा), खरंजी टुंगी
ऐम्बुश (लातेहार), लभर वन क्षेत्र में दुश्मन के हेलिकाप्टर पर किया गया हमला (लातेहार), राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर किया गया ऐम्बुश (लातेहार), गिरिडीह में कैदियों के एस्कार्ट वाहन पर हमला व 8 माओवादियों की रिहाई, बिहार
के गया जिला बालथोर व डुमरिया के जंगलों में एक ही दिन में सीआरपीएफ व कोबरा बलों पर पीएलजीए की लड़ाइयां, शकरबांथा के पास माइनप्रूफ वाहन पर ऐम्बुश, एओबी में जन्निगुड़ा (डाइक थ्री) ऐम्बुश (चित्राकोण्डा-बलिमेला रोड), सीलेरु एकल कार्रवाई, ओड़िशा
में बदरपंगा ऐम्बुश (कंधमाल), उत्तर
तेलंगाना में नाइट ऐम्बुश, पश्चिम बंगाल
के ग्वालतोर ऐम्बुश (लालगढ़
इलाका) आदि कार्रवाइयों, एकल कार्रवाइयों और अन्य युद्ध
कार्रवाइयों में 114 पुलिस वाले मारे गए और 191 घायल हो गए। पीएलजीए ने इनसे 29 हथियार छीन लिए। पीएलजीए की इन कार्रवाइयों के चलते दुश्मन को हमारे इलाकों में और ज्यादा बल तैनात करने और व्यापक इलाके
में बलों को बिखेरने पर मजबूर होना पड़ा। फलस्वरूप दुश्मन के हमले को रोक पाने में पीएलजीए के बलों ने कामयाबी हासिल
की।
पिछले साल के मध्य से आंदोलन के इलाकों में दुश्मन ने अपने हमलों
को तेज किया है। आंदोलन के इलाकों के बीच समन्वय काट देने के लक्ष्य से वह कई आपरेशन चला रहा है। जनता के खिलाफ सारकिनगुड़ा जैसे नरसंहार, क्रांतिकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्याएं बढ़ रही हैं। सलवा जुडूम,
नागरिक सुरक्षा समिति,
टीपीसी, एसपीएम, हर्मद
वाहिनी, भैरव सेना, शांति
कमेटी, शांति
संघम जैसे प्रतिक्रांतिकारी गिरोह,
गोपनीय हत्यारे दस्ते,
पुलिस, अर्द्धसैनिक व कमाण्डो बल संयुक्त रूप से इस तरह के नरसंहारों पर उतारू हो रहे हैं। माओवादियों और ‘आतंकवादियों’ से निपटने के नाम पर केन्द्र सरकार
द्वारा प्रस्तावित एनसीटीसी (राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी केन्द्र) की स्थापना से देशवासियों की नाममात्र की सार्वभौमिकता, शांति,
सुरक्षा, आजादी,
जनवाद और जीने के अधिकार को भारी खतरा हो सकता है।
क्रांतिकारी आंदोलन के उन्मूलन के लिए सेना को उतारा
जा रहा है। थलसेना व वायुसेना के हमलों के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं को बनाया जा रहा है। सैन्य हमलों
की मदद में वायुसेना के जरिए हमले करने के लिए छत्तीसगढ़, विदर्भ, आंध्रप्रदेश, बिहार,
झारखण्ड और ओड़िशा के कई इलाकों में एअरबेसों का निर्माण होने वाला है। चार ट्राइ-जंक्शनों (तीन राज्यों की सीमाओं से जुड़े क्षेत्रों) आंध्र-छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र, आंध्र-छत्तीसगढ़-ओड़िशा,
छत्तीसगढ़-झारखण्ड-ओड़िशा
और ओड़िशा-पश्चिम बंगाल-झारखण्ड में 400 किलेबंद पुलिस
थानों का निर्माण किया जा रहा है और कार्पेट सेक्यूरिटी को मजबूत किया जा रहा है। पीएलजीए की ओर से की जाने वाली किसी भी कार्रवाई का मुकाबला किया जा सके, इसके लिए वो अपने बलों को प्रशिक्षण, हथियार और अन्य सामग्रियां मुहैया करवा रहे हैं। ड्रोन (यूएवी)
हमलों की तैयारियां करते हुए फील्ड
में मौजूद
क्रांतिकारी नेतृत्व का सफाया करने पर जोर दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार
ने नक्सल
प्रभावित इलाकों में 2200 कम्युनिकेशन टावरों का निर्माण करने का निर्णय लिया है। घने जंगलों में गुरिल्ला बलों की गतिविधियों पर निगरानी रखने की मंशा से अप्रैल 2012 के आखिर में रिसैट-1 उपग्रह का प्रयोग किया गया। सुधार
कार्यक्रमों में तेजी लाई जा रही है ताकि क्रांतिकारी शिविर
में फूट डालकर लुटेरे वर्गों का सामाजिक आधार तैयार किया जा सके। इन सुधारों के जरिए राजनेताओं, अधिकारियों, ठेकेदारों, कबीलशाहों, धनी व मध्यम
किसानों के एक तबके को आर्थिक फायदे
पहुंचाकर उन्हें वो अपने सामाजिक आधार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी ओर निरंतर मनोवैज्ञानिक युद्ध
को चला रहे हैं जिसके तहत ‘अब समाजवाद-साम्यवाद के दिन गए’, ‘उसकी जीत संभव नहीं’,
‘5-10 सालों के अंदर क्रांतिकारी आंदोलन का सफाया कर देंगे’, ‘तुम लोग (क्रांतिकारी शिविर)
चूंकि जीत नहीं सकेंगे इसलिए
आंदोलन को छोड़कर पुलिस
में भर्ती
हो जाओ, मुखबिर बनो’ आदि-आदि प्रचार कर रहे हैं। सब्यसाची पण्डा
जैसे विघटनकारियों को बढ़ावा देकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश
कर रहे हैं।
संसाधनों की लूट और साम्राज्यवादी कार्पोरेट संस्थाओं को लाखों करोड़ डालर मूल्य
की सम्पदाएं लुटाने के लिए क्रांतिकारियों और शोषित जनता पर अत्यंत क्रूर
व अमानवीय हमले किए जा रहे हैं। भाकपा (माओवादी) के नेतृत्व में फल-फूल रही जनता की वैकल्पिक सत्ता
का सफाया
करना भारत के शासक वर्गों और उनके साम्राज्यवादी आकाओं
का लक्ष्य है। अतः सीएमसी तमाम शोषित जनता और जन हितैषियों का आह्वान करता है कि देश भर में जनयुद्ध और जनवादी व राजनीतिक आंदोलनों को तेज कर भारत के शोषक शासक वर्गों के हमले को परास्त किया जाए।
प्यारे कामरेडो व लोगो!
विश्व पूंजीवादी व्यवस्था का आर्थिक संकट और ज्यादा गहराता जा रहा है। इस संकट से उबरने
के लिए साम्राज्यवादी एक ओर अपने देशों में मजदूरों और मध्यम वर्ग पर लूटपाट बढ़ाने
के साथ-साथ पिछड़े
देशों में मौजूद तमाम भौतिक व मानव संसाधनों को लूटने के लिए होड़ लगाए हुए हैं। अमेरिका और अन्य साम्राज्यवादी देशों
में नस्लवाद दिनोंदिन बढ़ जाने से सिखों, पूर्वी व दक्षिणी एशियाई लोगों,
मुसलमानों और अरबों पर हमले बढ़े हैं। इन नव उदार नीतियों के खिलाफ पिछले
एक साल से यूरोप
के सभी देशों में मजदूर, नौजवान, महिलाएं और मध्यम वर्ग के लोग आंदोलन कर रहे हैं। सर्वहारा पार्टियां और प्रगतिशील संगठन
फिर से मजबूत हो रहे हैं। सभी पिछड़े
देशों में साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष विभिन्न रूपों
में तेज हो रहे हैं। अरब जन उभार के बाद वहां फिर से अमेरिका-अनुकूल शासकों के नए अवतार
में सत्तारूढ़ हो जाने से जनता अनिवार्य रूप से क्रांतिकारी मार्ग
को अपनाने की जरूरत महसूस
कर रही है। कई देशों में उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं के प्रतिरोधी संघर्ष जारी हैं। इस्लाम धर्म को अपमानित करने वाली एक अमेरिकी फिल्म
के खिलाफ
दुनिया भर में मुस्मिम जनता भड़क उठी। फिलिप्पींस व भारत में माओवादी जनयुद्ध का आगे बढ़ना और नेपाल
में यूसीपीएन (एम) द्वारा अपनाई
गई संशोधनवादी लाइन का विरेध
करते हुए क्रांतिकारी ताकतों का अलग हो जाना, तुर्की, पेरू, बंग्लादेश आदि देशों में माओवादी ताकतों की सक्रियता, यूरोप
के कई देशों में माओवादी संगठनों व साम्राज्यवाद-विरोधी संस्थाओं द्वारा हमारे
देश में जारी जनयुद्ध के समर्थन में कई कार्यक्रम अपनाना आदि सकारात्मक पहलू हैं।
हमारे देश में नव उदार आर्थिक नीतियों के फलस्वरूप तमाम बुनियादी अंतरविरोध तीखे हो रहे हैं। अमीर और और अमीर बनते जा रहे हैं जबकि गरीब और ज्यादा गरीब हो रहे हैं। देश की आबादी
का 77 प्रतिशत रोजाना 20 रुपए से भी कम आमदनी
के साथ घोर दरिद्रता झेल रहा है। हाल ही में कांग्रेसी नेता राहुल गांधी,
राबर्ट वाड्रा, केन्द्रीय मंत्री शरद पवार, सलमान
खुर्शीद, भाजपा
अध्यक्ष नितिन
गड़करी आदि पर लगे घोटाले के आरोपों ने सबको बेनकाब कर दिया। येे आर्थिक असमानताएं भ्रष्टाचार और सामाजिक अशांति का कारण बन रही हैं जोकि क्रांति का स्रोत है। जल-जंगल-जमीन पर अधिकार और विस्थापन की समस्या के खिलाफ आदिवासियों और अन्य किसानों के संघर्ष; कृषि क्षेत्र में सब्सिडियों की कटौती के खिलाफ, समर्थन मूल्य
के लिए, उर्वरकों व कीटनाशक दवाओं
में मिलावट के खिलाफ, बिजली
के लिए, बीज संरक्षण के लिए किसानों के संघर्ष; महंगाई, बेरोजगारी, अकाल और भूखमरी के खिलाफ व्यापक जनता के संघर्ष चल रहे हैं। खुदरा व्यापारी विदेशी प्रत्यक्ष पूंजी
के खिलाफ
संघर्ष कर रहे हैं। विदेशी पूंजी
व निजीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ इंडियन एअरलाइंस, एअर इंडिया के पायलट, बैंकिंग व बीमा क्षेत्र के कर्मचारी व छात्र लड़ रहे हैं। गुड़गांव में मारुति सुजुकी में तालाबंदी के चलते सड़कों
पर आए हजारों मजदूरों ने जुझारू संघर्ष का रास्ता अपना लिया। दस्तकार, मछवारे, महिलाएं, दलित और आदिवासी - सभी तबकों के लोग अपनी आजीविका खोने के खिलाफ,
जमींदारों, दलाल नौकरशाह पूंजीपतियों और साम्राज्यवादियों की लूटखसोट के खिलाफ संघर्षरत हैं। जितना भी दमनचक्र चलाया
जाए, अपनी राष्ट्रीयता की मुक्ति के लिए तथा आजादी के लिए कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के संघर्ष बारम्बार उठ रहे हैं। भारत की शोषित जनता, देशभक्त व जनवादी ताकतों का सीएमसी यह आह्वान करता है कि इस अनुकूल परिस्थिति का सदुपयोग करते हुए ‘जनयुद्ध के जरिए राजसत्ता पर कब्जा करो’ के नारे के साथ देश भर में निश्चयात्मक जनयुद्ध तथा जनवादी व राजनीतिक आंदोलनों को तेज किया जाए।
देश की 77 प्रतिशत जनता की घोर गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता और बीमारियों की जड़ भारत के बड़े जमींदारों और दलाल नौकरशाह पूंजीपतियों, जो साम्राज्यवादियों के दलाल हैं, के द्वारा जारी शोषण व उत्पीड़न में ही है। ऐसे शोषण व उत्पीड़न से मुक्त नई जनवादी व्यवस्था तथा आर्थिक व सामाजिक असमानताओं को खत्म कर देने वाली समाजवादी व्यवस्था को स्थापित करने के राजनीतिक लक्ष्य से पीएलजीए लड़ रही है। शांतिपूर्ण या बुर्जुवाई संसदीय चुनावों के रास्ते से इस राजनीतिक लक्ष्य को पाना असंभव
है। इस अनिवार्य परिस्थिति में हम सशस्त्र संघर्ष चला रहे हैं। चाहे ब्रितानी उपनिवेशिक दौर में हो या फिर उत्तर-औपनिवेशिक काल में, इस रास्ते पर चलने वाले कई संघर्ष इस राजनीतिक लक्ष्य को हासिल करने में विफल हो गए। हमारा संघर्ष न उग्रवादी है, न ही आतंकवादी है। ऐसे आरोप केन्द्र-राज्य
सरकारों द्वारा हम पर चलाए जा रहे दुष्प्रचार हमले का हिस्सा हैं। क्रांतिकारी आंदोलन पर जारी फासीवादी हमले को वैधता
हासिल करने के लिए ही केन्द्र व राज्यों की सरकारें हमारे
जनयुद्ध को उग्रवाद और आतंकवादी कहकर दुष्प्रचारित कर रही हैं। हमारे देश को साम्राज्यवादियों के पास गिरवी
रखकर करोड़ों के घेटाले करने वाले लुटेरे ही देशद्रोही हैं। हम आह्वान करते हैं कि इन शोषक वर्गों और देशद्रोहियों को उखाड़ फेंककर शोषित
जनता की राजसत्ता कायम करने के लक्ष्य से जारी जनयुद्ध में तमाम जनता को भागीदार बनना चाहिए और पीएलजीए में भर्ती होना चाहिए। भ्रष्टाचार का अंत कर देने का दावा करने वाले अन्ना
हजारे और अरविंद केजरीवाल इस शोषक व्यवस्था के संरक्षक ही हैं। लोकपाल व्यवस्था जैसे सतही सुधार
ही ये लोग ला सकते हैं। इन पर भरोसा करने का मतलब मरीचिका में पानी खोजने
के बराबर
है। हम किसानों, मजदूरों, छात्रों, बुद्धिजीवियों, डाक्टरों, वकीलों, पत्रकारों, दस्तकारों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, विभिन्न धार्मिक अल्पसंख्यकों, विभिन्न राष्ट्रीयताओं के लोगों - तमाम देशभक्तों और जनवादियों का आह्वान करते हैं कि वे आजादी,
स्वाधीनता और समानता के आधार पर आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और जनवादी भारत के निर्माण के लिए जारी इस जनयुद्ध में भाग लें और इसकी अगुवाई कर रही पीएलजीए में बड़ी संख्या शामिल
हो जाएं।
पीएलजीए द्वारा संचालित जनयुद्ध के राजनीतिक लक्ष्य का प्रचार करने तथा आपरेशन ग्रीनहंट को हराने के लिए गांव-गांव और गली-गली बड़े पैमाने पर रैलियों और सभा-सम्मेलनों का आयोजन करें।
(देवजी),
सेंट्रल मिलिटरी कमिशन
की ओर से
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)