भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)

दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी

प्रेस विज्ञप्ति

22 नवम्बर 2012

2 से 8 दिसम्बर तक जन मुक्ति गुरिल्ला सेना - पीएलजीए की 12वीं वर्षगांठ मनाओ!

दण्डकारण्य में सेना की तैनाती का विरोध करो! प्रतिरोध करो!!

जनयुद्ध को तेज करो! शोषक सरकारों द्वारा जनता पर जारी युद्ध

आपरेशन ग्रीन हंट को हरा दो!!

2 दिसम्बर भारत की शोषित जनता के लिए अविस्मरणीय दिन है। वर्ष 1999 में इस दिन भारत की राजसत्ता ने भारतीय क्रांति के महान नेता कामरेड्स श्याम, महेश और मुरली की निर्मम हत्या की थी। उनकी शहादत की प्रेरणा से, उनकी पहली बरसी के दिन, यानी 2 दिसम्बर 2000 को भारत की धरती पर पहली बार शोषित जनता की अपनी सेना - जन मुक्ति गुरिल्ला सेना (पीएलजीए) का उदय हुआ, जिसका इंतजार दशकों से था। हमारी पार्टी के संस्थापक-नेता और महान शि़क्षक कामरेड्स चारु मजुमदार तथा कन्नाई चटर्जी समेत हजारों वीर शहीदों के अरमानों सपनों को साकार बनाने की राह पर यह सेना पिछले 12 सालों से लड़ रही है। भाकपा (माओवादी) की अगुवाई में जारी भारत की नई जनवादी क्रांति को सफल बनाकर अंततः समाजवाद और साम्यवाद की स्थापना करने के लक्ष्य से संघर्षरत इस सेना की 12वीं वर्षगांठ देश की शोषित जनता के लिए निश्चित रूप से एक खुशी का अवसर है। आइए, इस मौके पर उन तमाम वीर शहीदों को याद करें जिन्होंने हमारे प्यारे देश भारत को सामंतवाद, दलाल नौकरशाह पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के शिकंजे से आजाद करने के लिए जारी संग्राम में मुस्कुराते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर किया।

इस सेना के उदय के बाद, पिछले 12 सालों में भारत के क्रांतिकारी जनयुद्ध के विकासक्रम में एक छलांग आई है। इलाकावार राजसत्ता की स्थापना के परिप्रेक्ष्य से दण्डकारण्य और बिहार-झारखण्ड को आधार इलाकों में बदलने का कार्यभार अपने कंधों पर लेकर यह सेना लड़ रही है। पिछले 12 सालों में इस सेना के लाल योद्धाओं ने अपने बहादुर कमाण्डरों के नेतृत्व में अनुपम शूरता और अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए शोषक-लुटेरों के भाड़े के पुलिस अर्धसैनिक बलों समेत विभिन्न प्रतिक्रांतिकारी गिरोहों पर अनगिनत हमले किए। सैकड़ों भाड़े के बलों को मार गिराकर कई हजार हथियार जब्त कर लिए। इस सेना की मदद से आज शोषित जनता अपने ऊपर हो रहे शोषण, जुल्म अत्याचारों के खिलाफ लड़ रही है। दण्डकारण्य बिहार-झारखण्ड समेत देश की विभिन्न जगहों में जनता अपनी जनवादी राजसत्ता के अंगों की स्थापना करते हुए आगे बढ़ रही है। हमारे दण्डकारण्य में क्रांतिकारी जनताना सरकार के नाम से निर्मित हो रही जन राजसत्ता एरिया से लेकर डिवीजन स्तर पर विकसित हो चुकी है। जनता की इस उदीयमान सत्ता को खत्म करने की बुरी मंशा से शोषक सरकारें विभिन्न दमन अभियानों को अंजाम दे रही हैं। पिछले तीन साल से आपरेशन ग्रीनहंट के नाम से देशव्यापी दमनकारी युद्ध जारी है। इस अन्यायपूर्ण युद्ध को परास्त करने के लक्ष्य से विभिन्न जगहों में जनता पीएलजीए के नेतृत्व में लड़ रही है।

आज दण्डकारण्य में हजारों अर्धसैनिक बल तैनात हैं। राज्य सरकारें विभिन्न कमाण्डों पुलिस बलों को लगातार बढ़ा रही हैं। सभी बलों को गुरिल्ला-विरोधी लड़ाई में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आज शोषक सरकारों ने बस्तर मेंप्रशिक्षणके बहाने सेना को उतार दिया है। माड़ क्षेत्र में 750 वर्ग किलोमीटर का इलाका सेना को सौम्पने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। माड़ समेत दण्डकारण्य के विभिन्न अंदरूनी इलाकों में 500 से 3000 तक की संख्या में पुलिस अर्द्धसैनिक बल बड़ी-बड़ी सैन्य कार्रवाइयां चला रहे हैं। कार्पेट सेक्यूरिटी के नाम से हर 3 से 5 किलोमीटर के दायरे में थाना/कैम्प खोले जा रहे हैं। नरसंहार, फर्जी मुठभेड़, गिरफ्तारियां, मारपीट, फर्जी आत्मसमर्पण, गांवदहन, महिलाओं के साथ बलात्कार आदि रोजमर्रा की बात हो गए। कई काले कानून बनाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओरसिविक एक्शन प्रोग्रामके नाम से लोगों को तरह-तरह का सामान बांटकर उनकादिलोदिमाग जीत लेनेकी कोशिश की जा रही है। अखबारों, रेडियो और टीवी के जरिए क्रांतिकारी आंदोलन के खिलाफ बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार किया जा रहा है जोकि उनके मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है। इसके खिलाफ जनता का विरोध प्रतिरोध जारी है। जनता के इस प्रतिरोधी संघर्ष की अगुवाई उसकी सेना पीएलजीए कर रही है।

पिछले एक साल के दौरान दण्डकारण्य में हमारी पीएलजीए ने शोषक शासकों के भाड़े के बलों पर कई शानदार हमले किए। 9 फरवरी को चिंतलनार क्षेत्र में पीएलजीए ने एक हमला किया जिसमें कोया कमाण्डो का खूंखार कमाण्डर करटम सूर्या मारा गया और कमाण्डर किच्चे नंदा एएसपी मरावी घायल हो गए। 26 मार्च को दक्षिण बस्तर डिवीजन के भेज्जी के पास किए गए ऐम्बुश में सीआरपीएफ का एक जवान मारा गया जबकि एक अन्य घायल हुआ था। इस दौरान शत्रु बलों से वीरतापूर्वक लड़ते हुए कामरेड्स पाकलू और मंगली शहीद हो गए। 27 मार्च को गढ़चिरोली जिले के पूसटोला के पास घात लगाकर किए गए हमले में कोबरा बलों के 13 कमाण्डो मारे गए जबकि 27 अन्य घायल हो गए। किरंदुल के पास 13 मई को किए गए एक शानदार हमले में सीआइएसएफ के छह जवान मारे गए और उनसे चार एके-47 समेत कुल छह हथियार छीन लिए गए। 25 मई को पामेड के पास हुई कार्रवाई में एक जवान मारा गया और एक अन्य घायल हुआ। इसके अलावा भी कुछ अन्य छोटी किस्म की कार्रवाइयां हुईं जिसमें कई पुलिस अर्द्धसैनिक बल, एसपीओ पुलिसिया मुखबिर हताहत हुए। इस प्रतिरोधी संघर्ष की बदौलत ही माओवादी संघर्ष को जड़ से खत्म कर इस पूरे क्षेत्र को कार्पोरेट लूट का चारागाह बनाने का शोषक सरकारों का सपना साकार नहीं हो पा रहा है।

आज साम्राज्यवाद अभूतपूर्व संकट में फंसा हुआ है। इसके चलते अमेरिका और यूरोपीय देशों में जनाक्रोश लगातार बढ़ रहा है। इस संकट से उबरने के लिए सरकारें अरबों डालर का जनधनबेलआउटके नाम से बड़े पूंजीपतियों के हवाले कर रही हैं। दूसरी ओर महंगाई, बेरोजगारी, वेतनों और सुविधाओं में कटौती के चलते मजदूरों और मध्यम वर्ग की परेशानियां बेतहाशा बढ़ रही हैं। इसके अलावा साम्राज्यवादियों, खासकर अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर धौंस-धमकियों से लेकर सैन्य हस्तक्षेप तक जारी हैं। यह हमला मुख्य रूप से उन देशों पर केन्द्रित है जहां तेल के समृद्ध भण्डार ़हैं। इरान और उत्तर कोरिया को लगातार धमकियां दी जा रही हैं। लीबिया की तर्ज पर सीरिया में भी सैन्य आक्रमण की कोशिशें चल रही हैं। दूसरी ओर उत्पीड़ित देशों से अनमोल प्राकृतिक सम्पदाओं और सस्ती श्रमशक्ति को लूटने का सिलसिला लगातार जारी है जोकि तेज हो रहा है। इसका विरोध करने वाली जनवादी क्रांतिकारी ताकतों का सफाया करने के लिए साम्राज्यवादी अपनी प्रतिक्रांतिकारी एलआइसी रणनीति के तहत यहां के दलाल सरकारों के जरिए क्रूर दमन अभियान चलवा रहे हैं।

आज मनमोहनसिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार देश की जनता पर साम्राज्यवादी लूटखसोट को बेइंतहा बढ़ाने पर आमादा है। गौरतलब है कि मनमोहनसिंह खुद साम्राज्यवादियों का चहेता दलाल है जिसे उन्होंने हमारे देश की आर्थिक नीतियों को अपने हितों के अनुरूप ढलवाने के लिए खासतौर पर चुन भेजा था। जनता के तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए उसकी सरकार ने हाल ही में कई औरसुधारोंकी घोषणा कर दी। साम्राज्यवाद-परस्त नीतियों के चलते देश में पिछले 12 सालों में 2 लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की। सरकारी आंकड़ों पर ही विश्वास करें तो देश के 40 करोड़ लोग जानवरों जैसे हालात में भूखमरी के कगार पर जी रहे हैं। वहीं अमीरों और गरीबों के बीच खाई इतनी बढ़ी है कि देश के सिर्फ 100 धनाढ़्य सकल घरेलू उत्पाद की एक चौथाई के बराबर सम्पत्ति के मालिक हैं जबकि गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। कई ज्वलंत समस्याओं से जनता त्रस्त है। पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से महंगाई के मारे जनता का जीना दूभर हो चुका है। इस बीच डीजल के दाम में एक साथ पांच रूपए की वृद्धि करके यूपीए सरकार ने जले पर नमक छिड़क दिया। इसके साथ-साथ रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी में भी कटौती कर दी। और अगले ही दिन मनमोहन सरकार ने खुदरा क्षेत्र में विदेशी पूंजी का रास्ता साफ करने की घोषणा की। इसके अलावा विमानन, मीडिया, बीमा आदि क्षेत्रों में भी विदेशी पूंजी को इजाजत देते हुए निर्णय लिए गए। एक सप्ताह के अंदर की गई इन सारी घोषणाओं से आगे चलकर हमारे देश का क्या हश्र होगा, इसकी कल्पना तक करना मुश्किल है।

खासकर खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी की घुसपैठ से देश में अमेरिकी कम्पनी वालमार्ट (जो अब लक्ष्मी मित्तल के साथ मिलकरभारती वालमार्टके नाम से मैदान में उतर चुकी है), ब्रितानी कम्पनी टेसो आदि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की बेलगाम लूटखसोट शुरू हो जाएगी। इससे पांच करोड़ परिवार, यानी लगभग 20 करोड़ लोग जो खुदरा व्यापार पर निर्भर हैं, कंगाल हो जाएंगे। लेकिन मनमोहनसिंह, मोंटेकसिंह आदि दलाल और नवउपनिवेशवादी मानसिकता से ग्रस्त चंद बुद्धिजीवी इन फैसलों को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं और इसेविकासके लिए जरूरी बता रहे हैं। वहीं तृणमूल कांग्रेस, एनडीए के घटक पक्ष और संशोधनवादी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं जोकि महज दिखावा है। वास्तव में साम्राज्यवादी नवउदार नीतियों को लागू करने में इन पार्टियों के बीच कोई बुनियादी फर्क नहीं है।

छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्य सरकारें दलाल पूंजीपतियों बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाते हुए उद्योग खनन नीतियों में बदलाव कर रही हैं। खासकर आदिवासी इलाकों में खदानें, बड़े बांध, भारी स्टील प्लांट अभयारण्य आदि खोलकर जनता को बड़े पैमाने पर विस्थापित करने का सिलसिला जारी है। दण्डकारण्य में पल्लामाड़, चारगांव, रावघाट, आमदाईमेट्टा, कुव्वेमारी, बोधघाट आदि जगहों पर ऐसी कोशिशों के खिलाफ जनता लड़ रही है।

भ्रष्टाचार आज देश में एक विकराल समस्या बन चुका है। कांग्रेस, भाजपा समेत सभी पार्टियों के नेता भारी भ्रष्टाचार-घोटालों में फंसे हुए हैं। 2जी स्पेक्ट्रम, कामनवेल्थ गेम्स, आदर्श हाउजिंग, एस-बैण्ड स्पेक्ट्रम आदि ताजातरीन घोटालों की फेहरिश्त में अब कोयला घोटाला शामिल हो गया जिसमें खुद प्रधानमंत्री से लेकर कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री तक शामिल हैं। हर दूसरे दिन एक नया घोटाला सामने रहा है। भ्रष्टाचार-घोटालों को उसकी जड़ों में जाकर, यानी असमानता मुनाफाखोरी पर आधारित मौजूदा शोषणकारी व्यवस्था को, जहां से इनकी उत्पत्ति होती है, उखाड़ फेंककर ही हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। इसके लिए कोई दूसरा आसान रास्ता नहीं है।

प्यारे लोगो, पीएलजीए जनता की सेना है। जनता की मुक्ति इसका लक्ष्य है। यह दरअसल जनता के हाथ में एक औजार है जिसके सहारे मजदूर, किसान, छोटे और मध्यम पूंजीपति - इन चार शोषित वर्गों की जनता, जोकि समाज का 95 प्रतिशत है, साम्राज्यवाद, सामंतवाद और दलाल नौकरशाह पूंजीवाद को उखाड़ फेंककर अपनी जनवादी सत्ता कायम कर लेगी। यह सेना जनता की सेवक है। जनता के हितों को छोड़कर और कोई इसके लिए बड़ा नहीं है। शोषक सरकारों की जन-विरोधी साम्राज्यवाद-परस्त नीतियों के चलते आज समाज का हर तबका बुरी तरह परेशान शोषित है। इसका अंतिम समाधान जन संघर्षों और जनयुद्ध के जरिए ही हो सकता है। इसलिए, हम मजदूरों, किसानों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं और बुद्धिजीवियों सभी का आह्वान करते हैं कि आओ, भाकपा (माओवादी) के नेतृत्व में जारी क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो जाओ! पीएलजीए में बड़ी संख्या में भर्ती हो जाओ! जनयुद्ध को आगे बढ़ाओ! यही वक्त की पुकार है!

 

(गुड्सा उसेण्डी)

प्रवक्ता,

दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)